जो बात तुझ में है,
तेरी तसवीर में नही
तसवीर में नही...
रंगों में तेरा अक्स ढला, तू ना ढल सकी
साँसों की आंच जिस्म की खुशबू ना ढल सकी
तुझ में जो लोच है, मेरी तहरीर में नही
तहरीर में नही
जो बात तुझ में है,
तेरी तसवीर में नही
बेजान हुस्न में कहाँ, रफ़्तार की अदा
इनकार की अदा है, ना इकरार की अदा
कोई लचक भी जुल्फ-ऐ-गिरहगीर में नही
गिरहगीर में नही
जो बात तुझ में है,
तेरी तसवीर में नही
दुनिया में कोई चीज़ नहीं है तेरी तरह
फिर एक बार सामने आजा किसी तरह
क्या और एक झलक मेरी तक़दीर में नही
तक़दीर में नही
जो बात तुझ में है,
तेरी तसवीर में नही
साहिर लुधियानवी...
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