सुरमई रात है सितारें हैं
आज दोनों जहाँ हमारे हैं
सुबह का इंतज़ार कौन करे ?
फिर ये रुत ये समां मिले न मिले
आरजू का चमन खिले न खिले
वक्त का ऐतबार कौन करे?
ले भी लो हम को अपनी बाँहों में,
रूह बेचैन है निगाहों में
इल्तजा बार बार कौन करे?
No comments:
Post a Comment