तेरे अक्स से बनी हूँ मैं।
तेरे आईने में सजी हूँ मैं।
कहाँ तुझसे जुदा हूँ में।
कहाँ तुझसे जुदा हूँ में।
तेरी साँसे मेरी साँस बन चुकी।
तेरी बाहें मेरा आगोश बन चुकी।
कहाँ तुझसे खफा हूँ में।
कहाँ तुझसे जुदा हूँ में।
नजरो के आशियाँ में तू।
सपनो की इस जहाँ में तू।
कहाँ तुझसे रिहा हूँ में।
कहाँ तुझसे जुदा हूँ में।
मेरी प्यास का आगाज़ है तू।
मेरी तलाश का अंजाम है तू।
कहाँ तुझबिन जिया हूँ में।
कहाँ तुझसे जुदा हूँ में।
मेरी रातो की गहराई तू।
मेरे दिनों की बेइन्तिहाई तू।
कहाँ तुझसे रिहा हूँ में।
कहाँ तुझसे जुदा है में।
मेरे इश्क की वो खुदाई तू।
मेरे खाबो की बेपनहाई तू।
कहाँ तुझसे बचा हूँ में।
कहाँ तुझसे जुदा हूँ में।
तेरे अक्स से बनी हूँ में।
तेरे आईने में सजी हूँ में।
कहा तुझसे जुदा हूँ में।
कहाँ तुझसे जुदा हूँ में।
भावार्थ...
2 comments:
आपके ब्लॉग की थीम काले पर सफेद पढ़ने में आँखों को दुखदायी है. कृपया सॉफ़्ट रंग प्रयोग करें.
Thanks for your suggestion !!!
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