Wednesday, October 22, 2008

क्या कहूँ ,
कैसे कहूँ ,या यूँ कहें
की क्यूँ कहूँ?
ये सवाल बार-बार
मेरी सोच के दायरे
में
मंडराते हैं,
और कभी कभी
बहुत बड़े बन जाते हैं
मेरे जवाबों की लम्बाई से
कहीं ऊँचे
कहीं आगे........

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