Saturday, October 25, 2008

बीती न बीते न रैना...गुलजार !!!

बीती न बीते न रैना...
कोरे हैं नींद से नैना...
नैनो के सपने भिगोके...
आए तो बोले न बैना...

बीते न बीते न रैना -२

रातो के पन्नो पे न कोई कारा...
न कोई संगी न कोई बाती..
आंगनमें उतरे न सुबह के पाखी...
न कोई सजन न कोई साथी...

बीते न बीते न रैना...3

तारो में उड़ती हैं पागल हवाएं...
मरू अकेले न जाना ...
बादल के टीले पे उगते बबूल
टीले पे घर न बनाना...

बीते न बीते न रैना...4


गुलजार...

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