भूख हिलोरे लेती है हर सुबह...
और लोग घर से निकल पड़ते हैं...
कुछ पकी तो कुछ कच्ची नीद लिए...
कोई चमकता चेहरा तो कोई बासी मुँह लिए....
कोई शानदार कपड़े में तो कोई फटे लत्ते सिये...
भूख हिलोरे लेती है हर सुबह...
और लोग घर से निकल पड़ते हैं...
कुछ लैपटॉप तो कुछ फावडा लिए हुए...
कुछ बड़े तो कुछ छोटे सपने बुने हुए...
कुछ जीते तो कुछ मरे जमीर को लिए हुए॥
भूख हिलोरे लेती है हर सुबह...
और लोग घर से निकल पड़ते हैं...
कुछ नौसिखए हैं तो कुछ पुराने हैं....
कुछ पहचाने चेहरे कुछ अनजाने हैं....
कुछ दिलचस्प तो कुछ भूले फ़साने हैं...
भूख हिलोरे लेती है हर सुबह...
और लोग घर से निकल पड़ते हैं...
कुछ बातें बनाने तो कुछ हुनर आजमाने...
कुछ शरीर बेचने तो कुछ आशियाँ बनाने...
कुछ हस्ती बनाने तो कुछ हस्ती मिटाने....
भूख हिलोरे लेती है हर सुबह...
और लोग घर से निकल पड़ते हैं ...
भावार्थ...
4 comments:
कुछ बातें बनाने तो कुछ हुनर आजमाने...
कुछ शरीर बेचने तो कुछ आशियाँ बनाने...
कुछ हस्ती बनाने तो कुछ हस्ती मिटाने....
bahut sahi dost
regards
Thanx...a lot !!!
कुछ बड़े तो कुछ छोटे सपने बुने हुए...
कुछ जीते तो कुछ मरे जमीर को लिए हुए॥
achhi panktiyan hain..
itis a fact that every morning we begin with dreams to be fulfilled..
good!!
great thought dear.
subah ke kaafi rang dikhaaye hain tumne.....varna kayion ki subah toh bas ganimat hoti hai.
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