सिमटती बिखरती हसरते ...
ये मिटती सवरती हसरतें..
उसके खाब का मीठा एहसास..
न बुझ पाये वो दबी सी प्यास...
तन्हाई में आगोश में वो पास....
ये बुझती सुलगती हसरतें...
अपने आँचल में भरती हसरतें ...
उलझी सी इश्क की ये नज़र...
साँसों का मद्धम सा ये मंजर...
उसके पहलू में शामो ये सहर...
ये जलाती सहलाती हसरतें...
मुझको अपना बनाती हसरते...
अरमानो की गहरे समंदर...
लहरों की मचलते से सजर...
ख्वाइशों के मनचाहे कहर...
ये उठती गिरती हसरतें...
ये सजती बिगड़ती हसरतें...
भावार्थ...
No comments:
Post a Comment