कोई तो था !!!
कोई तो था जो रंगभेद से टकराया था।
अफ्रीका में जिसने सपना एक दिखाया था।
जला के सारे भेद भाव के बिल्ले उसने।
गोरो को समानता का पाठ सिखाया था।
कोई तो था !!!
कोई तो था जिसने अहिंसा लाठी थामी थी।
स्वराज के दीवाने को कहाँ मंजूर गुलामी थी।
सत्याग्रह से ही स्वराज मिलेगा भारत को।
हिंसा को मिटा दिलो से सत्य की राह दिखा दी थी।
कोई तो था !!!
जिसकी एक आँख हिंदू तो दूजी मुसलमा थी।
दिल में जिसके राम, मोहम्मद की महिमा थी।
सालो पुराने समाज की नींव को जिसने।
धर्म निरपेक्ष बना बढाई भारत की गरिमा थी।
कोई तो था !!!
सालो से दबे को उसने 'हरिजन' कह अपनाया था।
हिंदू थे वो उनको जिसने हिंदू का एहसास कराया।
हर जाति से उपर होता उस इंसान का ब्रह्म स्वरुप।
हर जाति को "समान" समझ अपने गले लगाया था।
कोई तो था !!!
अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा खूब लगाया था।
'असहयोग' का विचार भारत को फ़िर सुझाया था।
न कोई गोली, न कोई बम न कोई कत्ल-ऐ-आम।
ख़ुद झुक कर ही जिसने अंग्रेजो को झुकाया था।
कोई तो था !!!
भावार्थ...
(२ अक्टूबर २००८, गांधी जयंती के उपलक्ष्य में )
2 comments:
बढिया रचना है।
आप सभी को गाँधी जी, शास्त्री जी की जयंति व ईद की बहुत बहुत बधाई।
wah ..pandit ji...brilliant
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