अपनी तहजीब के जामे में रहा करते थे ,
हम भी , बेटे ,कभी कालेज में पढ़ा करते थे ,
पहले टयूशन की दुकाने भी नहीं होती थी ,
फिर भी हैरत है की हम टॉप किया करते थे ,
खुश्बुये ,हमको भी बैचैन बहुत करती थी ,
फिर भी हम आँखों से फूलों को छुआ करते थे
, अब तो शागिर्दों से उस्ताद डरा करते हैं,
पहले उस्तादों से शागिर्द डरा करते थे,
जाने किन चीखों से ज़ख्मी है ,वे फ़िल्मी गाने ,
घर में मिल बैठ के हम जिनको सुना करते थे ,
पहले फ्रिज ,टी।वी.औ'कूलेर भी नहीं थे घर में ,
फिर भी आराम से हम लोग जिया करते थे ,
अबके खेलों में तोह हरकत भी नहीं होती है ,
तबके खेलों में पसीने भी बहा करते थे.
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