Sunday, October 26, 2008

दिल हूम हूम करे...

दिल हूम हूम करे घबराए...
घन धम धम करे गरजाए...
एक बूँद कभी पानी की ...
मोरी अंखियों से बरसाए...

दिल हूम हूम करे...

तेरी झोरी डरूं...
सब सूखे पात जो आए
तेरा छुआ लागे...
मेरी सूखी डार भर आए

दिल हूम हूम करे...

जिस तन को छुआ तुने...
उस तन को छुपाऊँ...
जिस मन को लागे नैना...
वोह किसकी दिखाऊँ

मेरे चंद्रमा
तेरी चांदनी आग लगाये
तेरी ऊंची अटारी...
मैने पंख लिए कटवाय....

दिल हूम हूम करे॥

गुलज़ार...

1 comment:

कुन्नू सिंह said...

दिपावली की शूभकामनाऎं!!


शूभ दिपावली!!


- कुन्नू सिंह