बेवा से बेवफाई का सिला क्या होगा...
न फटेगी धरती तो फिर और क्या होगा...
बचपन को बच्चो से छीन कर जो ...
न बाढ़ से उजड़ेंगे तो और क्या होगा...
हमसफ़र से मोहब्बत का दोखा कर...
तन्हाई से न तड़पेंगे तो और क्या होगा...
पाक रिश्तो को तिनके का सहारा दे कर...
तूफ़ान में न बिखरेगे तो और क्या होगा...
भुला के किसी शरीफ का एहसान जो ...
न दर दर वो भटकेंगे तो और क्या होगा...
चुपके से वहशियत को देते है अंजाम जो...
लाइलाज बेमारी से न मरेंगे तो और क्या होगा...
न नूर की इबादत न पत्थर को सजदा...
वो बौराते हुए न फिरेंगे तो और क्या होगा...
बेवा से बेवफाई का सिला क्या होगा...
न फटेगी धरती तो फिर और क्या होगा...
भावार्थ
न फटेगी धरती तो फिर और क्या होगा...
बचपन को बच्चो से छीन कर जो ...
न बाढ़ से उजड़ेंगे तो और क्या होगा...
हमसफ़र से मोहब्बत का दोखा कर...
तन्हाई से न तड़पेंगे तो और क्या होगा...
पाक रिश्तो को तिनके का सहारा दे कर...
तूफ़ान में न बिखरेगे तो और क्या होगा...
भुला के किसी शरीफ का एहसान जो ...
न दर दर वो भटकेंगे तो और क्या होगा...
चुपके से वहशियत को देते है अंजाम जो...
लाइलाज बेमारी से न मरेंगे तो और क्या होगा...
न नूर की इबादत न पत्थर को सजदा...
वो बौराते हुए न फिरेंगे तो और क्या होगा...
बेवा से बेवफाई का सिला क्या होगा...
न फटेगी धरती तो फिर और क्या होगा...
भावार्थ
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