शोहरत की तमन्ना...
दौलत की चाह ...
या फिर...
हस्ती बनाने का फितूर...
या किसी अफकार की तलब...
कुछ ऐसी है...
जैसे पपीहे को बूँद...
या पतंगे को लौ..
मिलती तो है मगर...
उस मकाम पे सुध नहीं होती...
कि क्या पाया और क्या खोया...
भावार्थ
दौलत की चाह ...
या फिर...
हस्ती बनाने का फितूर...
या किसी अफकार की तलब...
कुछ ऐसी है...
जैसे पपीहे को बूँद...
या पतंगे को लौ..
मिलती तो है मगर...
उस मकाम पे सुध नहीं होती...
कि क्या पाया और क्या खोया...
भावार्थ
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