मोहब्बत के आसमा में...
उल्फ़त के बादल उमड़ते रहे...
पाक रिश्ते के इर्द गिर्द...
प्यार की मदहोशी बिखरी...
इश्क ही इश्क था दामन तले...
दो रूह बस इकसार हो गयी...
वही एकसार नन्हा सा खाब हो तुम...
जो साया है मोहब्बत का...
जो परछाई है उल्फत की...
जो वजूद है रिश्ते का...
जो निशानी है प्यार की...
जो परछाई है इश्क की...
वही एकसार नन्हा सा खाब हो तुम...
जो खुदा का नूर है...
जो शिव का कनेर है...
जो इबादतों का स्वरुप है...
जो प्रणव का तोहफा है...
जो अवंतिका की याद है...
वही एकसार नन्हा सा खाब हो तुम
भावार्थ
उल्फ़त के बादल उमड़ते रहे...
पाक रिश्ते के इर्द गिर्द...
प्यार की मदहोशी बिखरी...
इश्क ही इश्क था दामन तले...
दो रूह बस इकसार हो गयी...
वही एकसार नन्हा सा खाब हो तुम...
जो साया है मोहब्बत का...
जो परछाई है उल्फत की...
जो वजूद है रिश्ते का...
जो निशानी है प्यार की...
जो परछाई है इश्क की...
वही एकसार नन्हा सा खाब हो तुम...
जो खुदा का नूर है...
जो शिव का कनेर है...
जो इबादतों का स्वरुप है...
जो प्रणव का तोहफा है...
जो अवंतिका की याद है...
वही एकसार नन्हा सा खाब हो तुम
भावार्थ
No comments:
Post a Comment