उनकी आँखों में जब नमी देखी...
हुस्न के चार सू गमी देखी...
कौन सी बात वो छुपाये हैं..
आने जाने में अब कमी देखी...
हुस्न के चार सू गमी देखी...
बेसबब जब वो मुस्कुराने लगे...
अब के कुछ बात बनी सी देखी...
उनकी आँखों में जब नमी देखी...
हुस्न के चार सू गमी देखी...
हुस्न के चार सू गमी देखी...
रुके रोशन पे इस कदर साए...
फूल पर धूल सी जमी देखी...
हुस्न के चार सू गमी देखी...
उनकी आँखों में जब नमी देखी...
हजरत !!!
1 comment:
दर्द ने शब्दों में बह कर नज़्म का रूप ले लिया है ... मार्मिक रचना
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