अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में
तलाश अपनेपन कि यहाँ जारी है
होश को होश नहीं मय के आगोश में
ख़तम न होने वाली ये बेकरारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
हर रात सी लेता हूँ मैं चाक दिल के
सुबह फिर चोट खाने की तैयारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
मेरा वजूद तो बंजारों सा है
फिर किसी और मकाम की बारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
रखना पड़ता है निवालों का हिसाब
इस मुल्क में इसकदर बेरोजगारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
इस कदर हैं बदहाल है मेरा नसीब
कमी पैसों कि मेरी खाईश पे भारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में
तलाश अपनेपन कि यहाँ जारी है
तलाश अपनेपन कि यहाँ जारी है
होश को होश नहीं मय के आगोश में
ख़तम न होने वाली ये बेकरारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
हर रात सी लेता हूँ मैं चाक दिल के
सुबह फिर चोट खाने की तैयारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
मेरा वजूद तो बंजारों सा है
फिर किसी और मकाम की बारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
रखना पड़ता है निवालों का हिसाब
इस मुल्क में इसकदर बेरोजगारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
इस कदर हैं बदहाल है मेरा नसीब
कमी पैसों कि मेरी खाईश पे भारी है
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में …
अजनबी हूँ इस अजनबी शहर में
तलाश अपनेपन कि यहाँ जारी है
~ भावार्थ~
२५/१२/२०१३