काया नहीं तेरी नहीं तेरी
ये तो दो दिन की जिंदगानी
मत कर तू मेरी मेरी
ये तो दो दिन की जिंदगानी
जैसा पत्थर ऊपर पानी
ये तो होवेगी फुल्ब्वानी
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!
जैसा रंग तरंग मिलावे
ये तो पलक छपे उड़ जावे
अंत कोई काम नहीं आवे
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!
सुन बात कहूं परमानी
वहां की क्या करता गुमानी
तुम तो बड़े हैं बेईमानी
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!
कहत कबीरा सुन नर ज्ञानी
यह सीखत जड़अभिमानी
तेरे को बात यही समझानी
काया नहीं तेरी नहीं तेरी !!!
काया नहीं तेरी नहीं तेरी
मत कर तू मेरी मेरी
~ कबीर ~
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