एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Saturday, May 11, 2013
बस बेकरारी
बस बेकरारी
बस बेकरारी
तेरे आने से
तेरे जाने से
रूह से लहू तलक
सांस के बस जाने से
बस बेकरारी
बस बेकरारी
जहर के असर सी
दर्द के कहर सी
तेरी याद में लिपटी
बेहोशी की दवा सी
बस बेकरारी
बस बेकरारी
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