कलियुग में बड़ी बचैनी है
हकीकत और खाब में बड़ी दूरी है
भीड़ में घुटना तो आज मजबूरी है
नशा करना अब जीने के लिए जरूरी है
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
क्यों कमाने का ढोंग करते जाते हैं
उम्र की दराजों में काम भरते जाते हैं
रिश्तों में बेइंतहा दूरियां करते जाते हैं
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
पहले तो खिलोने में ख़ुशी को समझा
फिर हमसफ़र में "खिलौना" समझा
खिलौना खुद हूँ ये आज जाकर समझा
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
जब कार और घर का सपना देखा मैंने
बच्चो के साथ शाम को खोया मैंने
त्यौहार को माँ से दूर हो कर रोया मैंने
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
कुछ पल को माँ की मैहर मिल जाए
पापा के कंधे पे मेले की सैर मिल जाए
कुछ पुराने दोस्तों की ख़ैर मिल जाए
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
~ भावार्थ ~
हकीकत और खाब में बड़ी दूरी है
भीड़ में घुटना तो आज मजबूरी है
नशा करना अब जीने के लिए जरूरी है
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
क्यों कमाने का ढोंग करते जाते हैं
उम्र की दराजों में काम भरते जाते हैं
रिश्तों में बेइंतहा दूरियां करते जाते हैं
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
पहले तो खिलोने में ख़ुशी को समझा
फिर हमसफ़र में "खिलौना" समझा
खिलौना खुद हूँ ये आज जाकर समझा
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
जब कार और घर का सपना देखा मैंने
बच्चो के साथ शाम को खोया मैंने
त्यौहार को माँ से दूर हो कर रोया मैंने
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
कुछ पल को माँ की मैहर मिल जाए
पापा के कंधे पे मेले की सैर मिल जाए
कुछ पुराने दोस्तों की ख़ैर मिल जाए
कलियुग में बड़ी बैचैनी है
~ भावार्थ ~
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