Wednesday, April 3, 2013

बहरा हुकुमरान अब नहीं सुनेगा

बहरा हुकुमरान अब नहीं सुनेगा
धतूरे से धुत आवाम नहीं जगेगा
भूख हड़ताल पे कोई क्यों बैठा है
दल-दल में डूबा वतन नहीं बचेगा

दर्द अब मौत के पार जा पहुंचा है
गूंगा देश न जाने मेरा कब चीखेगा
संतरी बोल पड़ा , मंतरी बोल पड़ा
मैडम का बच्चा बोलना कब सीखेगा

भावार्थ








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