Tuesday, April 22, 2008

जब मैं !!!!

उन पीले किनारों पे लाल काई बिचा कर।
पानी हरा सा और पत्थर गुलाबी बनाऊँगा।
फिर उसकी तह मैं नीले कंकड़ बिछाऊँगा।
में जब अपने ख्वाबो का समंदर बनाऊँगा....

काले कमल की हरी पत्तियों पे ओस हटाकर।
उनमें नारंगी गुलाब की कतार लगाऊँगा।
बीच मैं नीला गेंदा और हरा गुद्हल बिछाऊँगा।
में जब अपने सपनो का गुलज़ार सजाऊँगा।

पूरे आसमान को एक जैसा सतरंगी बनाकर।
इन तैरते बादलों को लाल पीला बनाऊँगा।
उसपे हाथ से बैंगनी इन्द्रधनुष सजाऊँगा।
में जब मैं अपने अरमानों का समां जगमगऊंगा।

मैं अपना समंदर बनाऊँगा....
मैं अपना गुलज़ार सजाऊँगा....
मैं अपना समां जगमगऊंगा...

पर
तब...
जब मैं अपनी आखों मैं रौशनी पाऊँगा !!!

भावार्थ
....


2 comments:

sarita said...

tareef ke liye shabd nahi hai.. I m speechless...amazing....sir

Bhavarth-The message beneath the music said...

Thanks a,lot Bhabhi !!!