कभी जिदगी तो कभी मौत सा 'जाना'।
तू तो चली जाती है रूठ कर मुझसे।
तेरा हिज्र कर देता है कत्ले-आम 'जाना'।
तू है तो हर रिश्ता अपन सा लगता है।
वरना इस शहर में मैं तो हूँ काफिर 'जाना'।
हमसफ़र तुझसे हर मंजर मंजिल सा है।
वरना हर मंजिल मेरेलिए एक सफर 'जाना'।
तेरे प्यार का एहसास इतना खूबसूरत है।
मजार में भी लगता है जैसे में अमर 'जाना'।
तेरा इश्क भी है एक बहरूपिया 'जाना'।
कभी जिदगी तो कभी मौत सा 'जाना'।
भावार्थ...
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