Friday, April 18, 2008

तू ही बता कि में तुझको भुलाऊँ कैसे !!!

तेरी यादों के जेवर में बता उतारू कैसे।
तू ही बता कि में तुझको भुलाऊँ कैसे।

सिन्दूर तो भर दिया मांग में उसने पर।
केशु में छुपी तेरी खुशबू बिखेरूं कैसे।

लाली तो लिपट गई इन लबो पे उसकी।
पर तेरे लबो का ये एहसास मिटाऊँ कैसे।

ख्वाब सजने लगे है उसके इन आंखो में।
तेरी सूरत जो बसी है उसको हटाऊं कैसे।

मेरा बाँहों में वो भर भर के आता तो है।
पर अपने आगोश से तेरी रूह निकालूँ कैसे।

मेरे जिस्म के करीब तो वो आ गया लेकिन।
तू बता तुझे साँसों के भीतर से हटाऊं कैसे।

मैंने उसको अपना सब कुछ सौप दिया लेकिन।
अपने भीतर पल रहा तेरा अंश मिटाऊँ कैसे।

भावार्थ....

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