आते आते मेरा नाम सा रह गया ।
उस के होन्ठो पे कुछ कान्पता रह गया।
मेरे सामने ही गया और में उसे ।
रास्ते की तरह बस देखता रह गया।
झूठ वाले कही से कही बढ़ गए ।
और मैं था की सच बोलता रह गया।
आंधियो के इरादे तो अच्छे न थे।
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया।
वसीम बरेलवी....
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