काश !!!
लबो से न सही आँखों से ही सही...
कोई बात जो उसने कभी कही होती...
साथ चलते रहने की जिद जो कभी...
उसके दिल में भी अगर रही होती...
मेरे चेहरे को पढने को कोशिश अगर...
उसने भीगी रातो को जो कभी की होती...
लकीरों में बुझते मेरे मुकद्दर की आह....
अपने हाथ में लेकर उसने कभी सही होती....
पलक तक आकर नींद रुक जाती थी....
उँगलियाँ मेरे सर पे उसकी कभी रही होती...
समंदर की आस थी मुझे उसके साए से...
मेरी प्यास उसने कभी महसूस की होती...
तो मैंने फ़िर यु जहर खाया न होता...
मौत को यु गले लगाया न होता...
तन्हाई से यु पीछा छुडाया न होता...
भावार्थ...
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