Saturday, April 11, 2009

युगल !!!

तन्हाई में आँख मींचे ...
एक दूजे को पास खींचे ...
जेहेन के बादलो में....
तैरते तैरते हम दोनों...
कई बार गुनगुनाये हैं....
मौज के हर्फ़,गम के लफ्ज़...
हथेली पे फूंक से उडाये हैं...
तर्ज़ की मद्धम आंच पर ...
ग़ज़ल के धुएँ उठाये हैं....
सोच की झीनी सी छत पे ...
ओस के सामियाने बिछाये हैं..
मैं और मेरे गीत अक्सर युही ....
तन्हाई में आँख मींचे...
एक दूजे को पास खींचे...
बहते रहते हैं...

भावर्थ

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