Saturday, April 18, 2009

खुदाई !!!

एक चाहत मिली और कई चाहते टूट गई...
एक अरमा मिला और कई खायिशे छूट गई....

सपने बंद आँखों का हमको तोहफा भर ही थे...
दर्द से दूर थे और बस तभी ये नींद टूट गई...

तमन्नाओ को जेहेन में हम अपने पिरोते गए...
जुड़ने वाली थी कड़ी और आखरी गाँठ छूट गई...

जन्नत खुदा ने बख्शी तो तेरे लम्हों जितनी थी...
तू तो नाराज़ थी मगर अब तेरी याद भी रूठ गई...

भावार्थ...

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