Monday, April 6, 2009

मुझको बचाओ माँ ...

मुझको बचाओ माँ, मुझको बचाओ माँ...
जिंदगी की धुप मुझे भी दिखाओ माँ...
तेजधार वाली कैंची क्यों है बढ़ रही...
घुटन मेरी साँसों में क्यों है चढ़ रही ...
नन्ही परी को अपने आगोश में छुपाओ माँ ...
मुझको बचाओ माँ, मुझको बचाओ माँ...

एक तेरे सिवा सबसे यहाँ अनजानी हूँ में ...
तू ही कहती थी मोहब्बत की निशानी हूँ में...
अपनेपन का साया मुझपे लाओ माँ...
मुझको बचाओ माँ, मुझको बचाओ माँ...

क्यों है दुश्मन मेरे अभी से अजनबी...
रिश्तो के जाल में भी न फसी हूँ अभी...
इस कलियुग की परछाई हटाओ माँ...
मुझको बचाओ माँ,मुझको बचाओ माँ...

मुझको बचाओ माँ, मुझको बचाओ माँ...
जिंदगी की धुप मुझे भी दिखाओ माँ...

मुझको बचाओ माँ ...

भावार्थ...

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