एहसासों के कारवां कुछ अल्फाजो पे सिमेटने चला हूँ। हर दर्द, हर खुशी, हर खाब को कुछ हर्फ़ में बदलने चला हूँ। न जाने कौन सी हसरत है इस मुन्तजिर भावार्थ को।अनकहे अनगिनत अरमानो को अपनी कलम से लिखने चला हूँ.....
Sunday, September 21, 2008
ये अधूरापन भी एक अँधेरा है !!!
ये अधूरापन भी एक अँधेरा है। जहाँ दूर तक न कोई सवेरा है। बिखरी पड़ी है रात दूर तलक। जर्रे जर्रे में तन्हाई का कोहरा है।
बिलख पड़ते हैं ये बादल अब। घटाओ का काजल शायद गहरा है।
खामोशी हवा में गुल सी गई है। दूर तक तेरी यादो का सेहरा है।
6 comments:
सुन्दर गीत है।
DIL KO CHUTI HAI AAP KI AWAAZ ..BAHUT KHUB
Thanks a lot Paramjeet n Anwar !!!
every sh'er is beautiful...
thanks a lot...vinay ji...
BEAUTIFUL MIND CREATE BEAUTIFUL THOUGHTS....CARRY ON...WITH LUV N AFFECTION....FAIZ
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