Sunday, September 14, 2008

बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों !!! साहिर लुधियानवी...

बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों।
मोहब्बत के दिए जलाके।
मेरी वफ़ा ने उजाड़ दी हैं।
वफ़ा की बस्तियां बनाके।

तुझे भुला देंगे अपनी दिल से।
ये फ़ैसला तो किया है लेकिन।
न दिलको मालूम है न हमको।
जियेंगे कैसे तुमको भुलाके।

कभी मिलेंगे रास्ते में तो।
तप मुँह फेर केर पलट पड़ेंगे।
कहीं सुनेंगे जो नाम तेरा।
तो चुप रहेंगे नज़र झुकाके।

न सोचने पे भी सोचती हूँ की।
जिंदगी में क्या रहेगा।
तेरी तमन्ना को दफ़न करके।
तेरे खयालो से दूर जाके।

साहिर लुधियानवी...

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