पोंछ के अश्क अपनी आँखों से।
मुस्कुराओ तो कोई बात बने।
सर झुकने से कुछ नहीं होता।
सर उठाओ तो कोई बात बने।
जिंदगी भीख में नहीं मिलती।
जिंदगी बढ़ के चीनी जाती है।
अपन अहक संगदिल ज़माने से।
छीन पाओ तो कोई बात बने।
रंग नस्ल जात और मजहब।
जो भी हैं आदमी से कमतर हैं।
इस हकीक़त को तुम मेरी तरह।
मान जाओ तो कोई बात बने।
नफरतों के जहाँ में हमको ।
प्यार की बस्तियां बसानी हैं।
दूर रहना कोई कमाल नहीं।
पास आओ तो कोई बात बने।
साहिर लुधियानवी...
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