इब्ने मरियम हुआ करे कोई।
मेरे दुःख की दवा करे कोई।
चाल जैसे कड़ी कमान का तीर।
दिल में जैसे जा करे कोई।
बात परवाज जबा कटती है।
वो कहे और सुना करे कोई।
जब तवक्को ही उठ गई गालिब।
क्यों किसी का गिला करे कोई।
इब्ने मरियम हुआ करे कोई।
मेरे दुःख की दवा करे कोई।
मिर्जा गालिब...
1 comment:
Very good.
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