Saturday, August 15, 2015

ये कागज़ की नाव है

ये कागज़ की नाव है 
बड़ा ही तेज बहाव है 

तुम चलते रहो राही 
बड़ा दूर अभी गांव है

धुआं जो उठ रहा  है 
अभी गीला अलाव है 

मत रुको दरख़्त पे 
यहाँ धधकती छाँव है 

बहुत देर तक चलना है 
तेरा नन्हा सा पाँव है 

कतई इश्क़ नहीं है वो 
जो  इकतरफा लगाव है 

ये कागज़ की नाव है 
बड़ा ही तेज बहाव है 

भावार्थ 
१६/०८/२०१५ 





4 comments:

Unknown said...

कतई इश्क़ नहीं है वो
जो इकतरफा लगाव है
He he :) very nice

Unknown said...

कतई इश्क़ नहीं है वो
जो इकतरफा लगाव है
He he :) very nice

Unknown said...

कतई इश्क़ नहीं है वो
जो इकतरफा लगाव है
He he :) very nice

Unknown said...

कतई इश्क़ नहीं है वो
जो इकतरफा लगाव है
He he :) very nice