इस रक्त की कोई परछाई नहीं होती
सुर्ख लाल रंग की कोई स्याही नहीं होती
जुदा करने का चाहे करो जितने जतन
अपनी है जो चीज़ वो फिर परायी नहीं होती
तिलिस्म का कोई आकार नहीं होता
इस जेहेन को तोलने की कोई इकाई नहीं होती
एक वो जिंदगी है जो बस वफ़ा करती है
और ये मौत है जिससे कभी बेवफाई नहीं होती
दिया बाती से और चाँद आफताब से रोशन
हर उम्मीद की चीज़ नूर-ए -इलाही नहीं होती
भावार्थ
२३/०८/२०१५
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