कुछ न होने के एहसास से होता...
कुछ होने का एहसास है...
दूरियां बतलाती है तुमको....
असल में तुम्हारे क्या पास है...
जिन्दादिली है तो जिंदगी है...
वरना जिंदगी एक जिन्दा लाश है...
हासिल हो जाना इक्तिफाक है...
जो हासिल न हो तो वही तलाश है...
माटी का पैरहन कुछ एक दिन...
हमेशा रहेगा वो अजर का लिबास है...
होश क्या है अकल का जागते रहना...
अकल भी किस कदर बदहवास है...
एक रोज गुज़र जाता है हर रोज...
ये सिलसिला भी क्या क्या ख़ास है...
भावार्थ
कुछ होने का एहसास है...
दूरियां बतलाती है तुमको....
असल में तुम्हारे क्या पास है...
जिन्दादिली है तो जिंदगी है...
वरना जिंदगी एक जिन्दा लाश है...
हासिल हो जाना इक्तिफाक है...
जो हासिल न हो तो वही तलाश है...
माटी का पैरहन कुछ एक दिन...
हमेशा रहेगा वो अजर का लिबास है...
होश क्या है अकल का जागते रहना...
अकल भी किस कदर बदहवास है...
एक रोज गुज़र जाता है हर रोज...
ये सिलसिला भी क्या क्या ख़ास है...
भावार्थ
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