Monday, January 16, 2012

जुस्तजू मौत की इस कदर दोस्तो...

जुस्तजू मौत की इस कदर दोस्तो...
जिंदगी का नहीं अब असर दोस्तो...

जुस्तजू मौत की इस कदर दोस्तो...


कारवाँ था जो अब तक चलता रहा...
जूनून था जो लहू बन उबलता रहा...
मंजिल बन गयी अब सफ़र दोस्तो...
जिंदगी का नहीं अब असर दोस्तो...

जुस्तजू मौत की इस कदर दोस्तो...


बस एक जिंदगी और एक जान है...
जान जाए वतन पे तो ही  शान है...
जिन्दादिली है  मुख़्तसर दोस्तो...
जिंदगी का नहीं अब असर दोस्तो...


जुस्तजू मौत की इस कदर दोस्तो...

जिंदगी का नहीं अब असर दोस्तो...

भावार्थ...



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