Sunday, June 14, 2009

न कर पाओगे !!!

मेरी हस्ती मेरी पैरहन भर है दुनिया वालो ...
इसको मिटाओगे मुझको न मिटा पाओगे...

पाव भर भुने चने मेरे बस्ते में रहते हैं...
चाहोगे भी तो खाने में जहर न मिला पाओगे...

सिर्फ़ तन्हाई मेरी अपनी है इस दुनिया में ...
मेरी दुनिया चाह कर भी न मिटा पाओगे ...

बेचिराग जिंदगी मैंने युही जी है अब तक...
खौफ अंधेरे का मुझको न दिखा पाओगे...

मैं नसीब अपना माथे पे लिए फिरता हूँ...
मजहबी रंग कोई मुझपे न चढा पाओगे...

अज़ल को मैंने करीब से देखा है लोगो...
मौत का मंजर मुझको न दिखा पाओगे...

भावार्थ...

1 comment:

M Verma said...

ashawad sarahneey hai.
अज़ल को मैंने करीब से देखा है लोगो...
मौत का मंजर मुझको न दिखा पाओगे...
bahut khub