मेरी हस्ती मेरी पैरहन भर है दुनिया वालो ...
इसको मिटाओगे मुझको न मिटा पाओगे...
पाव भर भुने चने मेरे बस्ते में रहते हैं...
चाहोगे भी तो खाने में जहर न मिला पाओगे...
सिर्फ़ तन्हाई मेरी अपनी है इस दुनिया में ...
मेरी दुनिया चाह कर भी न मिटा पाओगे ...
बेचिराग जिंदगी मैंने युही जी है अब तक...
खौफ अंधेरे का मुझको न दिखा पाओगे...
मैं नसीब अपना माथे पे लिए फिरता हूँ...
मजहबी रंग कोई मुझपे न चढा पाओगे...
अज़ल को मैंने करीब से देखा है लोगो...
मौत का मंजर मुझको न दिखा पाओगे...
भावार्थ...
1 comment:
ashawad sarahneey hai.
अज़ल को मैंने करीब से देखा है लोगो...
मौत का मंजर मुझको न दिखा पाओगे...
bahut khub
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