Wednesday, June 24, 2009

तू !!!

तुझसे मिल कर ये जाना है कि जन्नत क्या है...
दुआएं क्या हैं और मांगी हुई मन्नत क्या हैं...

लम्हे भी जिंदगी जीते है जब तू होती है...
चराग बुझ जाते हैं रौशनी इतनी होती है...

हर बाब में मेरे दिल के सिर्फ़ तेरा जिक्र है...
भूल गया खुदा को, ख़ुद को सिर्फ़ तेरी फ़िक्र है....

बूँद से कहीं नाज़ुक हो, ओस से भी नवेली हो...
मोहब्बत में लिपटी निशानी कोई अलबेली हो...

ओज क्या है, निखत क्या है, ये रंगत क्या है...
तुझसे मिलकर ये जाना है कि जन्नत क्या है...

भावार्थ...

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