Tuesday, February 10, 2009

कोई हमनफस नहीं है

कोई हमनफस नहीं है कोई राजदार नहीं है...
फकत एक दिल था अपना जो मेहरबा नहीं है...

मेरी रूह की हकीकत मेरे आंसूओं से पूछो...
मेरा मर्ज़ से तबस्सुम दर्द्द्जुमान नहीं है...

इन्ही पत्थरो पे चल कर अगर आ सको तो आओ...
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशा नहीं है...

किसी जुल्फ को सदा दो किसी आँख को पुकारो...
कड़ी धुप पड़ रही हो कोई साहिबा नहीं है...

पाकिस्तानी शायर...
(गायिका: मुन्नी बेगम)



1 comment:

nimish said...

ये मुस्तफा जैदी की रचना है