Friday, February 6, 2009

जी ले माही जी भर के जिंदगी...

हटा ये बंदिशे मिटा ये रंजिशें...
जी ले माही जी भर के जिंदगी...

तिनको
से बनी है तो क्या हुआ ...
बिखरी सी जिंदगी है तो क्या हुआ ...

हटा ये कोहरे हटा ये पहरे...
जी ले माही जी भर के जिंदगी...

अपने जो अपने नहीं तो क्या हुआ...
सपने सच बनते नहीं तो क्या हुआ...

हटा ये सवाल मिटा ये बवाल ...
जी ले माही जी भर के जिंदगी...

रास्ते जो तेरे नहीं तो क्या हुआ...
मंजिले मुँह फेर भी ले तो क्या हुआ...

हटा शक जो हैं मिटा हिचक जो है...
जी ले माही जी भर के जिंदगी...

भावार्थ...

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