Thursday, February 5, 2009

दीवानों ने मेरे रक्स तो देखा...!!!

दीवानों ने मेरे रक्स तो देखा...
पेरौ के ये छाले किसी ने न देखे...

मुस्सविर के जेहेन में रह कर भी ...
तस्वीरों में हम नज़र आए नहीं...
शायर के खयालो में बस कर भी...
नज़मो में हम कहीं सज पाये नहीं...

ये कजरारी नज़रें तो सभी ने देखी...
नजरो में बसे समंदर किसी न देखे...

तमन्ना थी बस उसकी बाहों की...
साँसे थमे तो उसका ही सहारा हो...
तमन्ना थी बस उन फिजाओ की...
जिधर देखूं उसका ही नज़ारा हो...

ये सजे-सजे से अधर तो सब ने देखे...
उनमें छुपी हुई आहें किसी ने न देखी...

जिसको सिर्फ़ मुझसे मोहब्बत हो ...
ऐसे शख्स की तामीर खुदा तू कर दे...
जिसके जेहेन में मेरी ख्वाईश बसी हो...
मेरी तकदीर में उसे गुमशुदा तू कर दे...

जिस्म की शोख अदाए तो देखी...
अरमान ये हारे किसी ने न देखे...

भावार्थ...

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