Monday, February 2, 2009

तेरा असर !!!

इस कदर बेसुध हुजूम...
या तो भीड़ मय खाने से निकली हैं...
ये फ़िर तू इस कूंचे से निकली है...

इस कदर बिखरी तीरगी...
या तो आज अमावस के नजारे है...
या फ़िर तुने अपने गेसू सवारे हैं...

इस कदर बे-इन्तेआह हया...
छुई-मूई को किसी बच्चे ने छु दिया है...
या तुझसे किसी अजनबी ने रास्ता पूछ लिया है...

इस कदर महकती हवा ...
या तो गुलज़ारो में बहार आई है...
या तू आज फ़िर खुल कर खिल-खिलाई है...

भावार्थ...

1 comment:

के सी said...

क्या बात है भाई वाह!