Saturday, March 21, 2015

लाल रक्त चहुँ ओर

लाल रक्त चहुँ ओर
भय लिप्त ह्रदय घनघोर

संग से कदम
क्रोध है विषम
निर्जर आत्मा
ढूढे दैत्य हर ओर
लाल रक्त चहुँ ओर

गंध में पुटाश
दृश्य में है लाश
नृदयी  देवता
पाप में सरावोर
लाल रक्त चहुँ ओर

नीर में विष भरा
नृत्य करती धरा
शिव की कामना
प्रकृति करे पुरजोर
लाल रक्त चहुँ ओर

लाल रक्त चहुँ ओर
भय लिप्त ह्रदय घनघोर

भावार्थ
२२/०३/२०१५ 

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