चित पट का नहीं खेल जिंदगी
मत खेल जुआरी बन के तू
हर सांस तेरी एक लम्हा है
जी आज़ाद परिंदा बन के तू
अवसाद बड़ा इक दरिया है
पार है जाना तो थम जा तू
भावार्थ
मत खेल जुआरी बन के तू
हर सांस तेरी एक लम्हा है
जी आज़ाद परिंदा बन के तू
अवसाद बड़ा इक दरिया है
पार है जाना तो थम जा तू
भावार्थ
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