ऐसी जगह कोई कैसे खुशियां चुने
घोंसले तोड़ जहाँ आशियाने बने
कोयलों की कूक यहाँ गढ़ गयी
भीड़ की ये चीख देखो बढ़ गयी
बेसुरे साज से कोई सुर कैसे बने
घोंसले तोड़ जहाँ आशियाने बने
मोर के नृत्य करते हमको बिभोर
इन पत्थरो में पनपे कुकृत्य घोर
बिखरे कांच से आईना कैसे बने
घोंसले तोड़ जहाँ आशियाने बने
यहाँ काग का अपना ही राग था
फूलों का कलयिों का एक बाग़ था
बंजर जमीन में बीज कैसे जने
चोसले तोड़ जहाँ आशियाने बने
ऐसी जगह कोई कैसे खुशियां चुने
घोंसले तोड़ जहाँ आशियाने बने
भावार्थ
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