मुफलिसी कहीं मजहब न बन जाए
नोट कागज़ का कहीं रब न बन जाए
जरा संभाल ये शौक जो तेरी आदत है
ये आदत तेरी कहीं तलब न बन जाए
जेहेन में होश रहे जब तू मदहोश रहे
वो लफ्ज़ तेरी मौत का सबब न बन जाए
भावार्थ
२५/०३/२०१५
नोट कागज़ का कहीं रब न बन जाए
जरा संभाल ये शौक जो तेरी आदत है
ये आदत तेरी कहीं तलब न बन जाए
जेहेन में होश रहे जब तू मदहोश रहे
वो लफ्ज़ तेरी मौत का सबब न बन जाए
भावार्थ
२५/०३/२०१५
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