Thursday, May 22, 2008

दो त्रिवेणी...!!!

में जिंदगी के जश्न की चर्चा करता रहा।
न गम, न रोष, न कोई दर्द कहीं इसमें ।

किसी ने ख्वाबो की चादर हटाने को कहा !!!
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कहाँ है दूरी, कहाँ रास्ते टूटे हैं मंजिल के।
कहाँ है अड़चन और कहाँ है कोई रोड़ा।

बाबू रात का अँधेरा तो छटने दो किसी ने कहा !!!
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भावार्थ...

1 comment:

Renu Sharma said...

kyon ki andhere ke baad hi ujalaa hota hai