में जिंदगी के जश्न की चर्चा करता रहा।
न गम, न रोष, न कोई दर्द कहीं इसमें ।
किसी ने ख्वाबो की चादर हटाने को कहा !!!
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कहाँ है दूरी, कहाँ रास्ते टूटे हैं मंजिल के।
कहाँ है अड़चन और कहाँ है कोई रोड़ा।
बाबू रात का अँधेरा तो छटने दो किसी ने कहा !!!
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भावार्थ...
1 comment:
kyon ki andhere ke baad hi ujalaa hota hai
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