Friday, May 2, 2008

रुकी हवा को तूफ़ान बनने में न देर लगे !!!

हँसते इंसा को हेंवा बनने में न देर लगे।
रुकी हवा को तूफ़ान बनने में न देर लगे।

न थामो तुम इन अश्कों को अपनी आखों में।
इस दरिया को समुन्द्र बनने में न देर लगे।

चल ले जब तक चल सकता है तू ऐ रही।
मंजिल को बस रस्ता बनने में न देर लगे।

हाथ जोडले या पढ़ले नमाज जो चाहे तू।
खुदा को पत्थर से झगड़ने में न देर लगे।

कौन है अपना है कौन पराया महफ़िल में।
लोगो को दिल का पला बदलने में न देर लगे।

पगला है तू जो तयारी करता है सदियों की।
सालो को एक लम्हा बनने में न देर लगे।

भावार्थ...

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