Saturday, January 7, 2012

अजब मासूम लड़की थी...

अजब दिन थे मोहब्बत के...
अजब दिन थे रफाकत के...
कभी गर याद आ जाएँ तो...
पलकों पे सितारे झिलमिलाते हैं...
किसी की यादों में रात को अक्सर जागना मामूल था अपना...
कभी गर नीद आ जाती तो हम भी सोच लेते थे...
अभी तो हमारे वास्ते वो रोया नहीं होगा...
अभी सोया नहीं होगा...
अभी हम भी नहीं रोते...
अभी हम भी नहीं सोते...
सो फिर हम जागते थे और उसको याद करते थे...
अकेले बैठ कर वीरान दिल आबाद करते थे...
हमारे सामने तारो के झुरमुट में अकेला चाँद होता था...
जो उसके हुस्न के आगे बड़ा ही मांद होता था...
फलक पर रक्स करते अनगिनत सितारों को...
जो हर तरतीब देते थे तो उसका नाम बनता था...
अगले अगले रोज जब मिलते...
तो गुजरी रात की हर बेकली का जिक्र करते थे...
हर एक किस्सा सुनाते थे...
कहाँ किस वक़्त किस तरह  से दिल धड़का बताते थे...
मैं जब कहता की जाना आज तो में जाना...
में एक पल नहीं सोया तो वो कुछ नहीं कहती...
मगर नीद में डूबी उसकी दो झील सी आँखें बोल उठती थी...
में जब उसको बताता था मैंने रोशन सितारों में तुम्हारा नाम देखा था...
तो कहती तुम झूठ कहते हो...
सितारे मैंने देखे हैं समें तुम्हारा नाम लिखा था...
अजब मासूम लड़की थी...
मुझे कहती थी की अबन अपने सितारे मिल ही जायेंगे...
मगर उसे क्या खबर थी की किनारे मिल नहीं सकते
मोहब्बत की कहानी में..
मोहब्बत करने वालों की कहानी में सितारे मिल नहीं सकते...


Source:  Romantic Urdu Poem "Ajab Masoom Ladki Hai" in a beautiful voice of "RJ Hasni Naveed Afridi".
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