Friday, June 12, 2009

जब मुकद्दर बन के मिलता है !!!

वो जो मेरे खयालो में हर पल रहता है।
वही मुझसे अजनबी बन के मिलता है।

रातें सदियाँ बन जाती हैं जिसके लिए।
वो मुझसे एक लम्हा बन के मिलता है।

जिंदगी जब एक तमन्ना बन के जीती है।
वो मुझसे एक हादसा बन के मिलता है।

में जिसके लिए दुनिया के दुःख पी बैठी।
वो मुझे मोड़ पे 'जोगी' बन के मिलता है।

किस्मत कोसूं तो कभी कोसूं ख़ुद को।
वो मुझे मिलता है मुकद्दर बन के मिलता है।

भावार्थ...

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