कह दो वो दिल की बातें तुम्हारे दिल में आती हैं,
जो मेरी समझ से परे हैं पर वो तुम्हे बड़ा सताती हैं।
ये बेकरारी रातो की कुछ खयालो का ही सिला होगा,
कह दो वो अफसाने जो ये रात बस तुम्हे सुनाती हैं।
पल-पल जिस टीस ने तुम्हारे जेहेन को झकझोरा है,
न ख़ुद सोती याद मेरी और ना ही तुम्हे सुलाती है।
सालो के मलहम से तेरे चाक जो सारे सिल पाये,
ये मुझसे जुड़ी कसक तुम्हे भी वहीँ-वहीँ दुखाती है।
अक्ल की बात सदा ही तुम्हारे लबों तक पहुँची है,
मन में भी तुम्हारे बात कोई सपने नए सजाती हैं।
कह दो वो दिल की बातें जो तुम्हारे दिल में आती हैं,
जो मेरी समझ से परे हैं पर वो तुम्हे बड़ा सताती हैं।
भावार्थ... Labels: भावार्थ scheduled 12/27/08 by No Mad Explorer....
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